गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार का खतरा ना हो इसलिए अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी एक बेहतरीन विकल्प है। इससे माँ और बच्चे की संतुलित रूप से देखभाल होती है, साथ ही इस तकनीक के शिशु के विकास और स्वास्थ्य को समझा जा सकता है।
इसके माध्यम में शिशु की शारीरिक बनावट आँखे, कान, नाक, ह्रदय, हड्डिया, मस्तिष्क, गर्भ में कोई समस्या तो नहीं, इसका पता लगाया जा सकता है। इस तकनीक से आप अपने बच्चे को उस समय अधिक विस्तृत रूप से देख सकते हैं जब वह गर्भ में बढ़ रहा होता है।
बच्चे का वजन, उसकी लंबाई, आकार, शिशु के दिल की धड़कन, बच्चों की संख्या और अन्य गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है। स्पाइना बिफिडा या हृदय दोष जैसे जन्म दोषों की जांच की जा सकती है।
3 डी और 4 डी तकनीक के साथ, आप गहराई देख सकते हैं और वास्तविक समय में अपने बच्चे को घूमते हुए भी देख सकते हैं।
अल्ट्रासाउंड एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे की सेहत की जांच के लिए उपयोगी है। यह एक सुरक्षित तकनीक है जो माँ और बच्चे के स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड कब ?
पहली तिमाही (सप्ताह 1-12):
इसे 3 माह की गर्भवती अल्ट्रासाउंड भी कहा जाता है। प्रेगनेंसी की पुष्टि करने, किसी भी संभावित जटिलताओं का पता लगाने और भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच करने के लिए पहली तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। तो जिनका सवाल यह रहा है कि प्रेगनेंसी में पहला अल्ट्रासाउंड कब करना चाहिए, उनके लिए पहली तिमाही पर ध्यान देना जरूरी है।
कई बार 2 माह की गर्भवती अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है। यह आमतौर पर 6-12 सप्ताह के बीच किया जाता है और प्रेगनेंसी की पुष्टि कर सकता है, किसी भी संभावित जटिलताओं का पता लगा सकता है और भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच कर सकता है। 2 माह की गर्भवती अल्ट्रासाउंड सामान्य तौर पर तभी किया जाता है जब डॉक्टर इसकी सलाह दे।
दूसरी तिमाही (सप्ताह 13-26):
भ्रूण की वृद्धि और विकास का आकलन करने, किसी भी विसंगति की जांच करने और बच्चे के लिंग का निर्धारण करने के लिए यह अल्ट्रासाउंड या गर्भवती सोनोग्राफी आमतौर पर 18-22 सप्ताह के बीच किया जाता है।
तीसरी तिमाही (जन्म के 27वें सप्ताह):
भ्रूण की वृद्धि और विकास की निगरानी करने, प्लेसेंटा या एमनियोटिक द्रव में किसी भी बदलाव की जांच करने और भ्रूण की गति और स्थिति का आकलन करने के लिए तीसरी तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे के विकास और स्वास्थ्य को समझने में अल्ट्रसाउन्ड स्कैन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तकनीक की सुविधा अब बसना के मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल अग्रवाल नर्सिंग होम में उपलब्ध है, जहां आप बेफ़िकर होकर आने वाले शिशु के स्वास्थ्य को समझ सकते हैं। और डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
प्रेगनेंसी केयर और शिशु की देखभाल के लिए अग्रवाल नर्सिंग होम बसना में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अमित अग्रवाल तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ, लैप्रोस्कोपिक सर्जन सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर भारती अग्रवाल प्रतिदिन उपलब्ध हैं। जिनसे आप आने वाले बेहतर शिशु की देखभाल के लिए परामर्श ले सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें अग्रवाल नर्सिंग होम बसना।